Source of Income
आश्रम के लिए आमदनी के स्थायी स्रोतों का निर्माण

1- आश्रम को नियमित आय का स्रोत प्रदान करने के लिये पूर्व महन्त श्री हरप्रकाश शास्त्री जी की सहमति से आश्रम के मेन गेट के सामने कनखल वाले सड़क की उस ओर आश्रम की जमीन में सड़क के किनारे-किनारे 32 दुकानों का निर्माण करवाया, जिनसे मासिक किराये की एक स्थायी एवं नियमित आमदनी आश्रम को प्राप्त होने लगी। इसके कुछ वर्षों के बाद पुनः महन्त जी के आशीर्वाद से ट्यूबवेल के साथ लगते हुए कमरों के उत्तर एवं दक्षिण दिशा में ज्वालापुर वाली सडक के किनारे तथा भगतपुरा के पश्चिम भाग में कनखल वाली सड़क के किनारे-किनारे 32 दुकानों का और निर्माण कराया गया। इस प्रकार इन चौंसठ (64) दुकानों के किराये से आश्रन की एक निश्चित आमदनी निर्धारित हुई।

2- भगतपुरा के मुख्य द्वार के दोनों ओर कनखल वाली सड़क से लगते हुए भगतपुरा के उन पुराने कमरों को, जिनका कोई उपयोग नहीं था, नया प्लास्टर एवं फर्श वगैरह करवाकर सड़क की ओर गेट खुलवाकर, शटर लगवाकर दुकानों के रूप में परिवर्तित कर चढ़ा दिया गया, ऐसी दुकानों की सं 07 है, इन दुकानों से आश्रम की आमदनी में वृद्धि हुई।

3- आश्रम के आय के स्रोत में वृद्धि करने के लिए ही कनखल वाली सड़क पर ही भगतपुरा के तीन-चार कमरों के बीच से दीवारें हटाकर छत के नीचे पक्का बीम डालकर एक हॉल का रूप दिया गया तथा भगतपुरा के अन्दर उनसे लगता हुआ एक नया कमरा भी बनवाया गया, इन सबको एक साथ जोड़कर सिंडीकेट बैंक को किराये पर दिया गया, जहाँ आज सिंडीकेट बैंक की शाखा (ब्रान्च) चल रही है, जिससे आश्रम को किराये के रूप में एक निश्चित आमदनी प्राप्त हो रही है।