Ashram Activities
आश्रम की प्रमुख धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ

1- देवालय (मन्दिर)-

आश्रम परिसर के मध्य में एक विशाल प्राचीन देवायतन (मन्दिर) सुप्रतिष्ठित है। मन्दिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान् श्रीराम पञ्चायतन एवं श्री राधाकृष्ण विराजमान हैं। मुख्य मन्दिर से लगे दूसरे लघु मन्दिर में श्री हनुमानलला विराजमान हैं। पश्चात्कालीन निर्मित मन्दिरों में विशालकाय श्री हनुमान् जी, भगवान् लक्ष्मीनारायण, जगज्जननी जगदम्बा (दुर्गामाता) भगवान् शंकर जी तथा पवित्र शिवलिंग विराजमान हैं। इस मन्दिर की स्थापना वीतराग अवधूत शिरोमणि श्री स्वामी हीरादास जी महाराज एवं श्री स्वामी ब्रह्मदास जी महाराज के कर कमलों से वैशाख गुरम्य पञ्चमी सम्वत् 1972 विक्रमी को हुई थी। यह मन्दिर हरिद्वार पञ्चपुरी में अति प्रतिष्ठित एवं प्रसिद्ध है। मन्दिर में नित्य प्रति सायं-प्रातः पूजा-आरती इत्यादि शास्त्रीय पद्धति से होती हैं। बारहों मास प्रतिदिन सायं घण्टावादन, धार्मिक-ग्रन्थों का पाठ यथा श्रीमद्भागवत, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता आदि की कथा होती है तथा सायं आरती के बाद एक घण्टा सामूहिक कीर्तन भी होता है।

2- गोशाला –

गावो विश्वस्य मातरः। वेदों में लिखा है कि गाय समस्त जगत् की पालन करने वाली माता हैं। गाय के शरीर में तैंतीस कोटि देवताओं का निवास है। गोमाता सबके लिए पूज्य एवं सेव्य है। अत: गोसेवा हमारा परम धर्म है, इसी कारण गोसेवा के उद्देश्य से इस आश्रम में सुन्दर सुव्यवस्थित गोशाला सञ्चालित है, जिसमें पूर्ण रूप से भारतीय परम्परा के अनुसार सेवित, स्वस्थ, अच्छी नस्ल की गायें एवं उनके बछड़े-बछड़ियों की सेवा की जाती है। गायों के चारे की व्यवस्था के लिए आश्रम में खेती की जमीन सुरक्षित रखी गई है, इसमें गाय के लिए मौसम के अनुसार चारा बोया जाता है। गोसेवा के लिए एवं खेतों में चारा वगैरह उगाने के लिए कर्मचारियों की अलग व्यवस्था है। गोसेवा से प्राप्त गोरस (दूध, दही, घी) का उपयोग मन्दिर में ठाकुर जी की आरती और भोग में होता है तथा शेष अभ्यागतों भक्तों, साधुसन्तों, छात्रों एवं कर्मचारियों के चाय और दूध आदि देने में प्रयोग होता है।

3- स्वामी रामप्रकाश धर्मार्थ औषधालय-

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् यह सुक्ति सन्देश देती है कि धार्मिक कार्य इस पञ्चभौतिक शरीर के माध्यम से ही सम्पादित होते हैं, अत: प्रत्येक धर्मकार्य के लिए भी इस शरीर का स्वस्थ एवं नीरोग रहना परमावश्यक है। इसी उद्देश्य से जनता जनार्दन को रोगों से त्राण दिलाकर स्वस्थ करने के लिए तथा विना व्यय के नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए, योग्य चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है , जिनकी देख - रेख में कमर दर्द , गर्दन दर्द , घुटनों का दर्द आदि विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोगी आधुनिक उपकरणों ( मशीनों ) द्वारा इलाज करवाकर स्वास्थ्य लाभ करते हैं , जिससे इस सेन्टर की दूर - दूर तक ख्याति हो रही है । काफी दूर - दूर से लोग यहाँ फीजियोथेरेपी की चिकित्सा के लिए आते हैं , एवं लगभग निःशुल्क चिकित्सा प्राप्त कर आरोग्य लाभ करते हैं । साथ ही यहाँ महन्त स्वामी रामप्रकाश जी महाराज की पुण्यस्मृति में " स्वामी रामप्रकाश धर्मार्थ चिकित्सालय " भी पहले से ही चल रहा है । इसके चिकित्सक डॉ 0 एस 0 के 0 शर्मा हैं , ये योग्य एवं अनुभवी चिकित्सक हैं । ये एलोपैथी तथा आयुर्वेदिक दोनों प्रकार से विभिन्न रोगों का इलाज करते हैं । हजारों रोगी प्रतिवर्ष यहाँ से लाभान्वित होते हैं । पहले यह अस्पताल कनखल वाली सड़क के उस ओर आश्रम की | दुकानों के बगल में दो कमरों के एक हॉल में चलता था ,फीजियोथेरेपी सेन्टर के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होने पर महामंत्री श्री जीवनदास मलिक ने भगतपुरा में कनखल वाली सड़क की ओर सिंडीकेट बैंक से लगते कुछ कमरों का नवीनीकरण करवाकर तथा उनसे लगे हिस्से में भगतपुरा के भीतर एक लम्बे चौड़े हॉल का निर्माण करवाकर तथा सड़क की ओर अस्पताल का गेट खुलवाकर यहाँ प्रशस्त एवं खुले जगह में अस्पताल एवं फीजियोथेरेपी सेन्टर को स्थानान्तरित कर दिया । इसमें सारी मशीनें एवं रोगियों के टेबुल खुले - खुले रूप में व्यवस्थित ढंग से लगे हैं तथा एक साथ कई सारे मरीज चिकित्सा का लाभ प्राप्त करते हैं ।

4- श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय-

विश्व की प्राचीनतम एवं समृद्धतम भारतीय संस्कृति का आधार संस्कृत वाङ्मय ही है। संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है, अत: भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत भाषा की रक्षा और प्रसार करना परमावश्यक है। इसी उद्देश्य से महामना पण्डित जी श्री स्वामी गुरुचरणदास जी महाराज एवं श्री स्वामी गोविन्द प्रकाश जी महाराज ने 1965 ई0 में दिल्ली के श्रेष्ठी लाला भगवानदास जी कत्याल की स्मृति में इस आश्रम के अन्दर श्री भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। पण्डित जी ने स्वामी श्री गोविन्दप्रकाश जी महाराज को महाविद्यालय के सञ्चालन के लिए परमाध्यक्ष नियुक्त किया। उन महानुभावों ने देशभर से चुन-चुनकर प्रतिष्ठित बड़े विद्वानों को इस महाविद्यालय के प्रधानाचार्य एवं अध्यापक नियुक्त किया, जिनमें म0 म0 राष्ट्रपति पुरस्कृत पं0 श्री वेदानन्द जी झा, पं0 श्री मनसाराम शर्मा आदि उल्लेखनीय हैं । कुछ ही वर्षों में इस महाविद्यालय की ख्याति चारों ओर फैल गई तथा तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार से ‘क' वर्गीय महाविद्यालय के रूप में मान्यता एवं अनुदान भी प्राप्त हो गया। बाद में भारत सरकार द्वारा नियुक्त विद्वानों एवं अधिकारियों के एक पैनल=इस महाविद्यालय को आदर्श महाविद्यालय के रूप में मान्यत देने की संस्तुति की। तदनुसार 1 जुलाई 1978 से यह महाविद्यालय आदर्श महाविद्यालय के रूप में भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त तथा अनुदानित है। आदर्श महाविद्यालय योजना के अन्तर्गत स्वीकार कर लिये जाने पर नियमानुसार पण्डित जी स्वा श्री गुरुचरण दास जी महाराज ने आश्रम परिसर से पृथक् कनखल वाली सड़क से उत्तर आश्रम की भूमि पर एक विशाल और भव्य भवन का निर्माण कराकर महाविद्यालय को समर्पित किया। केन्द्र सरकार के आर्थिक अनुदान तथा प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के संरक्षण एवं सहयोग से सञ्चालित इस महाविद्यालय में शास्त्री एवं आचार्य के छात्र व्याकरण, साहित्य, वेदान्त, हिन्दी एवं अंग्रेजी आदि विषयों का अध्ययन करते हैं। प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के पूर्व महन्त श्री स्वामी हर प्रकाश शास्त्री जी महाराज, वर्तमान महन्त श्री स्वामी हंसप्रकाश जी महाराज, जिनका भारतीय संस्कृत वाङ्मय एवं शास्त्रों के प्रति अगाध श्रद्धाभाव है यह महाविद्यालय पूरे उत्तर भारत में सुप्रतिष्ठित है। यहाँ छात्रों को आश्रम की ओर से नि:शुल्क भोजन, आवास, शिक्षा एवं पुस्तकों की सुविधा प्रदान की जाती है। यहाँ से स्नातक बनकर निकले हजारों विद्वान् और महात्मा पूरे देश में तथा विदेशों में भी धर्मप्रचार तथा विद्यादान आदि के क्षेत्र में प्रचुर कीर्ति और प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे हैं तथा इस महाविद्यालय और आश्रम की कीर्ति को फैला रहे हैं|

5- शिवधाम-

इस आश्रम की शाखा के रूप में हरिद्वार शहर के बीच में श्रवणनाथ नगर क्षेत्र में तीन मंजिला एक आश्रम बना है, जिसका नाम शिवधाम है। इसमें सभी कमरे आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न हैं। यहाँ पर आश्रम के श्रद्धालु भक्तजनों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है। आवास-व्यवस्था पूर्णतया नि:शुल्क है। यहाँ से हरिद्वार के सभी मुख्य-मुख्य स्थान, यथा-हरकी पौड़ी, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, डाकखाना आदि बहुत निकट हैं।

6- ब्रह्मनिवास आश्रम वृन्दावन-

इस आश्रम की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध शाखा वृन्दावन धाम में भी सुशोभित है, जिसका नाम है-ब्रह्मनिवास आश्रम। इस आश्रम के अन्तर्गत संस्कृत विद्या के प्रचार के लिए श्री ब्रह्मविद्या मन्दिर संस्कृत महाविद्यालय के नाम से सञ्चालित है, जिसमें शास्त्री तथा आचार्य कक्षाओं के छात्र अध्ययन करते हैं। महाविद्यालय के अतिरिक्त इस आश्रम में परम भव्य देवालयः हैं तथा यहाँ पर साधुओं एवं भक्तगणों के निवास आदि की सुन्दर व्यवस्था है।

7- बाबा ब्रह्मदास कुटिया, कलानौर रोहतक (हरियाणा)

प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम की एक शाखा कलानौर में भी है। जिसका नाम बाबा ब्रह्मदास कुटिया, कलानौर है। वहाँ सन्तों एवं भक्तजनों के निवास की समुचित व्यवस्था है तथा कन्याओं को विद्यादान कर समाज को शिक्षित बनाने के उद्देश्य से एक कन्या विद्यालय श्री सनातन धर्म प्रेम पुत्री पाठशाला के नाम से चलाया जा रहा है, जिसका सम्पूर्ण व्ययभार प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम वहन करता है।