1- मैनेजमेन्ट ब्लॉक का नवीनीकरण:
जैसा कि आप इस पुस्तिका के प्रारम्भ में ही पढ़ चुके हैं कि आश्रम का अधिकतर निर्माणकार्य पूज्यपाद बाबा ब्रह्मदासजी महाराज एवं श्री स्वामी हीरादास जी महाराज के करकमलों द्वारा सन् 1912 ई0 में पूरा हो चुका था। अतः स्वाभाविक रूप से आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व का निर्माण कार्य होने से यह पुराने ढंग का था, अर्थात् कमरों में आधुनिक आवश्यक सुविधाओं का सर्वथा अभाव था। अत: तत्कालीन महन्त श्री हरप्रकाश शास्त्री जी ने आश्रम के कमरों को आधुनिक स्वरूप प्रदान करने तथा आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित करने का निश्चय किया। इस नवीनीकरण कार्य का शुभारम्भ मैनेजमेण्ट ब्लॉक (प्रशासकीय खण्ड) से किया गया। यह आश्रम का वह भाग है, जो इसके प्रधान द्वार से प्रवेश करते ही मन्दिर के सामने दायीं ओर स्थित है, जिसके साथ लगा हुआ महन्त गद्दी एवं कार्यालय है। इन्हीं कमरों में महन्त जी, कोठारी जी सहित अन्य प्रमुख अधिकारियों का आवास स्थान है। इन कमरों को नवीन स्वरूप प्रदान करने के लिए इनका पुराना प्लास्टर झाड़कर नया प्लास्टर किया गया, नीचे फर्श (जो बहुत नीचा था) को आवश्यकतानुसार ऊँचा करके मार्बल चिप्स का फर्श डलवाया गया। पहले शौचालय व स्नानागार की सुविधा नहीं थी। अतः प्रत्येक कमरे के साथ शौचालय एवं स्नानागार बनवाया गया, उनमें अच्छे स्तर के टाइल्स लगवाये गये, स्नानागारों में गीजर लगवाये गये तथा बिजली फिटिंग एवं सेनेटरी सिस्टम को पूर्ण आधुनिक रूप प्रदान किया गया। दीवारों एवं छतों को सुन्दर ढंग से पेन्ट किया गया। आवश्यकतानुसार कुछ कमरों में ए.सी. एवं शेष कमरों में कूलर भी लगवाये गये। इसी प्रकार इन कमरों के आगे बरामदे में नया प्लास्टर कराकर पुताई एवं पेन्ट कराया गया तथा नीचे मार्बल चिप्स का फर्श डलवाया गया। कुछ समय उपरान्त इन कमरों के बरामदे में टाईल्स लगाये गये। जिस कमरे में पूर्व महन्त श्री हरप्रकाश शास्त्री जी निवास करते थे, उनके ब्रह्मलीन होने के पश्चात् उस कमरे को सभाकक्ष के रूप में सुसज्जित किया गया। सभी कमरों में जालीदार पल्ले और खिड़कियाँ भी लगवाई गई तथा पर्दे आदि से पूर्ण सुसज्जित किये गये।
2- महन्त-गद्दी, कार्यालय, रसोई, भण्डार-हॉल, कोठार आदि का नवीनीकरण:
पहले आश्रम का कार्यालय एवं महन्त गद्दी एक ही स्थान पर हुआ करते थे। नवीनीकरण योजना के अधीन दोनों को अलग-अलग करके कार्यालय को गद्दी के बगल वाले कमरे में स्थानान्तरित कर दिया गया। गद्दी स्थल के पुराने प्लास्टर को झाड़कर, नया प्लास्टर करवाकर दीवारों तथा छतों में अत्यन्त सुन्दर प्लास्टिक पेन्ट करवाया गया। बहुमूल्य पत्थर लगाकर नया फर्श बनवाया गया तथा गद्दी का निर्माण संगमरमर के सुन्दर गुलाबी पत्थरों से अत्यन्त आकर्षक रूप से सिंहासन तैयार करके करवाया गया, जिस पर गद्दे एवं चादर बिछाकर महन्त जी महाराज विराजमान होते हैं। गद्दी के ऊपर ही पूर्व महन्तों के चित्रों को लगाने के लिए सुन्दर स्थान बनाये गये, उनमें सभी पूर्व महापुरुषों के चित्रों को क्रमवार ढंग से सुसज्जित करके लगाया गया। इस गद्दी स्थल को सुन्दर आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया। गद्दी के तीनों तरफ से किनारे-किनारे सोफे लगाकर बीच में गलीचा बिछाया गया। कई पंखों के साथ-साथ ए.सी. लगाकर भी गद्दी-स्थल को सुखप्रद बनाया गया। गद्दी से लगे हुए तीनों निकास-द्वारों में शीशे एवं अल्युमिनियम के बहुमूल्य दरवाजे लगवाये गये। इसी प्रकार गद्दी से लगे कार्यालय में भी नया एलास्टर, नया पेन्ट, नये दरवाजे, खिड़कियाँ, नया फर्नीचर, पर्दे आदि लगाकर सुसज्जित किया गया। इसी प्रकार रसोई घर, भण्डारहॉल और भण्डारहॉल के बरामदे तथा कोठारघर को भी नया मार्बल चिप्स का फर्श, नया प्लास्टर, नया पेण्ट, नई खिड़कियाँ, नये दरवाजे आदि लगाकर सुन्दर एवं आकर्षक बनाकर सुविधा सम्पन्न किया गया। भण्डार के बाहर यात्रियों एवं आश्रमवासियों के लिए ठण्डा पानी उपलब्ध कराने हेतु फ्रिजर लगाया गया।
3- सन्तपुरा के समस्त कमरों का नवीनीकरण:
इसके बाद दूसरे चरण में आश्रम के सन्तपुरा के सभी कमरों का नवीनीकरण उसी प्रकार किया गया। इन कमरों में आश्रम के सन्तगण निवास करते हैं तथा पर्व के दिनों में विशेष रूप से बड़ी भारी तादाद में एवं अन्य अवसरों पर साधारण संख्या में आने वाले भक्तगण निवास करते हैं, उनकी आवश्यक मूलभूत सुविधाओं तथा स्वच्छता आदि का ध्यान रखते हुए सभी कमरों में पुराना प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर करके पुताई का काम कराया गया। सभी कमरों में अटैच शौचालय एवं स्नानघर बनवाया गया। जहाँ आवश्यकता हुई वहाँ तीन कमरों को दो कमरों में परिवर्तित करके दोनों को शौचालय एवं स्नानागार सहित नया स्वरूप प्रदान किया गया। फर्श भी मार्बल चिप्स का नया बनाया गया, जहाँ आवश्यकता महसूस हुई वहाँ फर्श को यथोचित रूप से ऊँचा भी किया गया। इन सभी कमरों के बरामदों में भी नया प्लास्टर करके फिर से पुताई कराई गई तथा फर्श मार्बल चिप्स का डलवाया गया। सभी कमरों में पंखों के साथ-साथ कूलर भी लगवाये। बिजली फिटिंग सब नई करवाई गई।
4- प्रांगण का नवीनीकरण:
आश्रम के प्रांगण का फर्श पहले इंटों के खड़ंजे का था, जो जगह-जगह से टूटा हुआ एवं ऊबड़-खाबड़ भी था। बीच में प्रांगण कच्चा भी था, बरसात में यहाँ से कीड़े निकलकर सारे प्रांगण में फैलते थे। अतः समस्त प्रांगण को पक्का करके नया स्वरूप प्रदान करने की आवश्यकता अनुभव की गई। पूर्व महन्त जी महाराज की स्वीकृति से खड़ंजा हटाकर पूरे प्रांगण में कोटा पत्थर का सुन्दर डिजाइनदार फर्श बनवाया गया तथा प्रांगण के बीचों-बीच मन्दिर के ठीक सामने एक सुन्दर रंग-बिरंगी रोशनी से सुसज्जित फव्वारे का निर्माण कराया गया। जब रात्रि में रंग-बिरंगी रोशनी के प्रकाश में फव्वारा चलता है, तो उसकी शोभा देखते ही बनती है।
5- सीवर लाइनों को नये रूप में फिर से बिछाना:
भगतपुरा समेत पूरे आश्रम में पहले सेफ्टी टैंक वाली सीवर लाइने थीं। इन टैंक वाली पुरानी सीवर लाइनों को बदलकर नई आधुनिक सीवर लाइनें बिछाई गई तथा इन सीवर लाइनों को मुख्य कनखल वाली सड़क से गुजर रही नगरपालिका की सीवर लाइनों से जोड़ दिया गया, जिससे टैंकों के बार-बार टूटने-फूटने, बार-बार भरने, उन्हें खाली करवाने तथा आश्रम के वातावरण में दुर्गन्ध फैलाने आदि की समस्याओं का स्थायी निदान हो गया।
6- सीढ़ियों का नवीनीकरण:
आश्रम में ऊपरी मंजिल पर तथा छत पर चढ़ने के लिए पुराने ढंग की सीढ़ियाँ थीं, जो बहुत ऊँची-ऊँची हुआ करती थीं, उन पर चढ़ने में जल्दी ही लोगों की सांस फूलने लगती थी। अत: इन पुरानी सीढ़ियों को नये ढँग से बनाने की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी। तब पूर्व महन्त श्री हरप्रकाश शास्त्री जी की स्वीकृति से सीढ़ियों का नवनिर्माण करवाया गया। पुरानी ऊँची-ऊँची सीढ़ियों को तोड़कर उनके स्थान पर चढ़ने में आसान तथा कम ऊँची आधुनिक ढँग की सीढ़ियाँ बनवाई गईं तथा उन पर पत्थर भी लगवाया गया।
7- भगतपुरा के दोनों मंजिलों के कमरों का नवीनीकरण तथा फर्श का दुबारा निर्माण:
भगतपुरा में दो मंजिला विशाल भवन है, जिसमें भक्तगण निवास करते हैं, इसके भी अधिकतर कमरे पुराने ढंग के थे, उनमें भी अधिकतर में अटैच लैट्रिन-बाथरूम की सुविधा नहीं थी, जिस कारण यात्रीगण वहाँ ठहरना पसन्द नहीं करते थे। अतः इन कमरों का भी उसी प्रकार नवीनीकरण करवाया गया, जिस प्रकार सन्तपुरा के कमरों का नवीनीकरण करवाया। कमरा के छोटे - छोटे होने के कारण बीच को दीवान हटाकर तीन- तीन कमरों को दो - दो कमरों में बदला गया तथा उन सब में लैट्रिन - बाथरूम अटेच किया गया । नया प्लास्टर कराया गया । नयी बिजली फिटिंग कराई गई । फर्श तोड़कर मार्बल चिप्स की नई फर्श डाली गई। रंगाई-पुताई कराकर तथा आवश्यकतानुसार नये दरवाजे खिड़कियाँ, जालीदार पल्ले वगैरह लगवाकर पूर्ण रूप से आधुनिक सुविधा सम्पन्न बनाया गया, जहाँ भक्त यात्री सुखपूर्वक निवास कर सकें। भगतपुरा का चौका (प्रांगण) भी कच्चे खड़ंजे का था, जो जगह-जगह से टूटा था, वहाँ बार-बार घास निकल आती थी, जिस कारण सफाई व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाती थी। अत: भगतपुरा के प्रांगण को भी बजरी सीमेण्ट से पक्का करवाया, जिससे सारा प्रांगण एक समान हो गया तथा साफ-सफाई रहने लगी। भगतपुरा के पूर्व दिशा के छोटे-छोटे कमरों को एक करके एक हॉल का स्वरूप प्रदान किया, जहाँ पर्याप्त संख्या में आये यात्रीगण एक साथ रहना चाहें या खाने-पीने आदि का कोई सामूहिक कार्यक्रम करना चाहें तो कर सकते हैं।
8- गोशाला का नवीनीकरण:
गोशाला के पुराने स्वरूप को बदलकर नया किया गया। पहले जहाँ गायों के लिए टिनशेड पड़े हुए थे, जो गर्मी में तप जाते थे, जाड़े में गायों को ठण्ड लगती थी, वरसात में छींटों से गायें भीगती थीं, अतः टिनशेड को हटाकर गायों को आराम पहुँचाने के लिए पक्के छत का निर्माण किया गया, गर्मी से बचाने के लिए छतों में कई पंखे लगाये गये, आवश्यकतानुसार कूलर लगाने की व्यवस्था भी की गई है। स्वयं संचालित चारे तथा पानी को हर गऊ तक पहुँचाने की व्यवस्था की गई है एवं हर गऊ के ऊपर फुहारे से स्नान कराने की व्यवस्था की गई है। हर गऊ अपने स्थान पर ही स्नान कर सकती है एवं हर गऊ को चारा तथा पानी मोटर द्वारा पहुँच जाता है। उनके भूसा-सानी खाने एवं पानी पीने की सुविधा हेतु एक बड़ी लम्बी पक्की हौदी की व्यवस्था की गई है, जिसको पानी से भरने हेतु पानी की टंकी लगाई गई है। दूहने के समय मधुर संगीत सुनने हेतु गानों के टेप चलाने की भी पक्की व्यवस्था करके गोशाला को पूर्ण आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया है। जो भी दर्शक इसको देखता है, बार-बार भूरि-भूरि प्रशंसा कर उठता है।