आश्रम के विस्तार एवं नवनिर्माण का विवरण

1- ब्लॉक का नवनिर्माण

आश्रम में आने वाले भक्तों की पर्याप्त संख्या को दृष्टिगत रखते हुए, विशेषकर पर्व के दिनों में भीड़-भाड़ के मद्देनजर आश्रम में कमरों की कमी अनुभव की जाने लगी। तब तत्कालीन महन्त श्री हरप्रकाश शास्त्री जी ने मन्दिर के पीछे दक्षिण दिशा में बचे खाली स्थान में 11 कमरों का डबल स्टोरी ब्लॉक बनाने का उपक्रम किया गया। ये सभी कमरे आधुनिक ढंग से अटैच लैट्रिन-बाथरूम के साथ खुले खुले एवं बड़े बनाये गये हैं। सभी कमरों में जालीदार खिड़की एवं पल्ले भी लगवाये गये तथा पंखों के साथ कूलर की व्यवस्था भी सभी कमरों में की गई। आश्रम में आने वाले यात्रियों, भक्तों को असुविधा से बचाने के लिए सभी कमरों में तख्त, चारपाई व साफ सुथरे बिस्तर की भी व्यवस्था की गई है। इन कमरों के लिये फर्श व बरामदा का फर्श भी मार्बल चिप्स का बनाया गया है।

2- स्वामी चन्द्रप्रकाश स्मारक कक्ष का निर्माण

स्वामी चन्द्र प्रकाश जी महाराज पूज्यपाद ब्रह्मलीन श्री स्वामी गुरुचरणदास जी महाराज के शिष्य थे। उनके ब्रह्मलीन हो जाने पर उनकी स्मृति में उनके गुरुभाई महन्त स्वामी हरप्रकाश शास्त्री जी महाराज की इच्छा से एक विशाल स्मृतिकक्ष का निर्माण किया गया । यह स्मृतिकक्ष रसोईघर एवं गुसलखाने के साथ अपनी भव्यता के साथ-साथ विशालता के लिए भी पूरे आश्रम में प्रसिद्ध है, जो मन्दिर परिसर से लगा हुआ खेतों की ओर जाने वाले मार्ग के सामने मन्दिर के वाम भाग में पश्चिम दिशा में स्थित है।

3- भोजनालय - हॉल के ऊपर आधुनिकतम सात कमरों का निर्माण

अभी कुछ ही वर्ष पूर्व भोजनालय हॉल के ऊपर आधुनिकतम ढंग के सुन्दर 7 कमरों का निर्माण कराया गया है, ये सभी कमरे अटैच लैट्रिन बाथरूम से युक्त हैं। कमरों में एवं उनके बरामदों में उच्च क्वालिटी के संगमरमर पत्थर का फर्श लगाया गया है तथा लैट्रिन बाथरूम में सुन्दरतम टाइलें लगाई गई हैं। स्नानागार में गीजर भी लगाया गया है। पंखों के साथ-साथ कूलर लगाकर कमरों को पूर्ण आरामदेह स्वरूप प्रदान किया गया है। सभी खिड़कियाँ एवं पल्ले भी दिलेवाले और जालीवाले डबल-डबल हैं। पल्लों में सुन्दर पॉलिश कराया गया है तथा दीवारों को सुन्दर ढंग से पेण्ट कराया गया है।

4- आश्रम के मालगोदाम का निर्माण

पहले भगतपुरा के दक्षिण दिशा में खाली जमीन में गोदाम बना था, जिसके ऊपर टिनशेड पड़ा हुआ था, वह बरसात के पानी में जंग लगकर जगह-जगह से गल गया था। गोदाम के अन्दर पानी टपकता था, गोदाम में नाना प्रकार के कीट पतंग, बिच्छू आदि हुआ करते थे, जिससे गोदाम के अन्दर जाना तथा आना भी दुश्वार था। उसके बगल में ही गोबर का ढेर लगा रहता था, इस कारण माल गोदाम को यहाँ से हटाकर खेत के अन्तिम छोर पर दक्षिण दिशा में पूरा पक्का नौ सौ वर्ग फुट 30'30' का निर्माण कर बनाया गया। एक बहुत बड़े हॉल के रूप में चारों ओर से पक्की दीवारों के ऊपर पक्का आर. सी.सी. का छत डाला गया तथा लोहे का बड़ा भारी गेट लगाकर पूर्ण सुरक्षित कर दिया गया। नीचे पक्का फर्श बनवा दिया, जिससे मालगोदाम पूर्ण सुरक्षित, कीट-पतंग रहित साफ सुथरा एवं प्रवेश योग्य हो गया। गोबर जमा करने के लिए एक टैंक भी मालगोदाम के बगल में वहीं पर बनवा दिया गया। इस प्रकार से भगतपुरा के पीछे का वातावरण बिलकुल साफ सुथरा और निर्मल हो गया। मालगोदाम एवं गोबर के ढेर हटाने से खाली जगह में आम, कटहल, आँवले वगैरह का पेड़ लगवा दिया गया तथा केले का बागान भी लगा दिया गया एवं शेष जगह में फूलों तथा सब्जियों की खेती भी होती है। इस प्रकार अब वहाँ का वातावरण सुरम्य बन गया है।

5- आश्रम के अन्दर सड़कों एवं गेटों का निर्माण

आश्रम के सन्तपुरा से नलकूप (ट्यूबवेल) तक जाने के लिए, उसी प्रकार ट्यूबवेल वाली सड़क से नवनिर्मित माल गोदाम तक जाने के लिए तथा ट्यूबवेल वाली सड़क से ही भगतपुरा एक दुकानों के बीच वाले गेट तक जाने के लिए तीन सड़कों का पक्का आर.सी.सी, निर्माण किया गया, जिससे भगतपुरा एवं दुकानों के बीच वाले गेट से भूसा वगैरह की ट्रॉली तथा खेत जोतने के लिए आने वाले ट्रेक्टर वगैरह के आने में सुविधा हो गई। गोशाला से गोबर भरकर ठेला गाड़ी में गोबर टैंक तक ले जाने में सुविधा हो गई तथा सायंप्रात: आश्रम के भीतर ही खेतों एवं बाग-बगीचों के बीच हरियाली भरे वातावरण में खुली ताजी हवा में सैर करने वालों के लिए पूरी सुविधा हो गई। अब लोग बरसात सहित किसी भी मौसम में सुबह शाम एवं रात में भी इन सड़कों पर आराम से घूम सकते हैं। रात में घूमने के लिए एवं प्रात:काल जल्दी अन्धेरे में घूमने के लिए रोशनी की पूरी व्यवस्था इन सभी सड़कों पर कर दी गई है। स्थान-स्थान पर खम्भे गाड़कर उनके ऊपर बॉल के अन्दर सुन्दर बल्ब लगा दिये गये हैं। ट्यूबवेल के पास ज्वालापुर वाली सड़क के किनारे-किनारे चार कमरे बने हुए हैं, इन कमरों में कर्मचारी एवं विद्यार्थी निवास करते हैं। इन कमरों के बीच ज्वालापुर वाली सड़क की ओर खुलने वाला एक गेट है, यह गेट पहले बहुत हल्का होने से असुरक्षित था। अत: उस गेट को निकालकर गेट को बड़ा करके लोहे का नया भारी एवं विशाल गेट लगाया गया है, जिससे स्थान पूर्ण सुरक्षित हो गया है। इसी प्रकार भगतपुरा एवं दुकानों के बीच भी लोहे की पत्तियों का बहुत छोटा एवं हल्का गेट था, जहाँ से ट्रेक्टर एवं ट्राली वगैरह अन्दर आती थी। छोटा एवं हल्का होने के कारण यह गेट अत्यन्त असुरक्षित था, इसके कारण कई वारदातें चोरी वगैरह भी यहाँ से हो चुकी थी। इसलिए इस गेट को भी पर्याप्त ऊँचा, बड़ा एवं खूब मजबूत करके नया बनाकर लगाया गया है, जिससे आश्रम की चारों ओर से पूरी सुरक्षा हो गई है।

6- खेतों की ओर सात शौचालय एवं तीन स्नानघर का निर्माण

इसके साथ ही भीड़-भाड़ के दिनों में अधिक शौचालय एवं स्नानघरों की आवश्यकता को देखते हुए सन्तपुरा से लगे हुए खेत के एक भाग में 7 शौचालयों का एवं 3 स्नानघरों का भी पक्का निर्माण किया है, जिससे मेले आदि के समय बहुत सुविधा हो गई है।